Leo Movie Review in Hindi 2023

Yo Movies
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थलापति विजय की मोस्ट अवेटेड फिल्म आ चुकी है। थिएटर में मैंने देख ली, बहुत सी जगह पर लिओ के हिंदी शोज दोपहर के 12:00 बजे के बाद ही लग रहे है, वो भी सिंगल स्क्रीन या मिनीप्लेक्स थिएटर में मैं गया था एक मिनीप्लेक्स में और अच्छी खासी भीड़ थी।

Leo Movie Review

एक्चुअली पता है क्या इस फ़िल्म की हाइट ही इतनी हो चुकी है? कि ऑलमोस्ट इस फ़िल्म के शोज हाउसफुल चल रहे हैं। तमिल और हिंदी दोनों के वैसे सब लोगों के मन में एक सवाल जरूर रहेगा की ये मूवी एल्स यू से कनेक्ट करती है की नहीं यानी लोकेश सिनेमैटिक यूनिवर्स के कैथी मूवी और कमल हासन के विक्रम मूवी से कनेक्ट करती है की नहीं तो भाई साहब इतना जान लो कि अगर लियो मूवी देखने से पहले अगर आपने कैथी और विक्रम नहीं देखी है तो बहुत कुछ मिर्च मसाला मिस करने वाले हुआ सो कही थी। ऐंड विक्रम मूवी देखना इस मेनडेटरी एक इंटरवल के पहले एक सीन में ऐंड स्पेशल ती फॉर द लास्ट सीन आई मीन पहले ही बता दू मूवी खत्म होते ही चले मत जाना देर इस वन सरप्राइज़ एट द एंड देखो लोकेश कनगराज अपने सिनेमा प्रेजेन्टेशन के लिए ज्यादा जाने जाते हैं।

कैथी ऐंड विक्रम में उनका ऐक्शन, स्टाइल, सिनेमेटोग्राफी, क्लाइमैक्स सब कुछ एकदम बहुत बेहतरीन था और यहाँ भी वो बात झलकती है। फ़िल्म के स्टार्टिंग में वो हाई ना वाला सीन है जो सीजी आई है, बट खूबसूरती के साथ शूट किया गया है और बड़े पर्दे पर देखने में अच्छा भी लगता है। फ़िल्म में एक कैफे के अंदर पांच 6 मिनट या फाइट सिक्वेन्स है, जिसमें ऐक्टर विजय अपने कैरक्टर में जैसा चेंज करते है ना भाई साहब लोग सीटियाँ तालियां बजाने लग गए थे।

उस मोमेंट पर तो इस फिल्म का ऐक्शन ऐंड स्टोरी का प्रेजेंटेशन टॉप नोच बोल सकते हैं। पर कहीं ना कहीं पर्सनली आई फेल्ड के स्टोरी को थोड़ा स्ट्रेच किया जा रहा है। स्पेशल ली इन सेकंड हाफ जब बैकस्टोरी वगैरह चलती है तब उस बैकस्टोरी में ज्यादा लॉजिकल स्टाफ नहीं था।

इवन उसे थोड़ा सा सूपर स्टेशन के साथ भी जोड़ा गया है। कैसे और क्यों? वो तो आप फिल्म में ही देख लो कभी लगेगा की मूवी में काफी अच्छी स्टोरी चल रही है।

तो कभी लगेगा की स्टोरी चल ही क्यों रही है? आइ मीन मुझे लगा कि स्टोरी टेलिंग को लेकर ये मूवी कौन सी स्टेंट नहीं हो पा रही है, जिसके वजह से बीच बीच में आपको बोर हो सकती है। जस्ट लाइक अगर विक्रम की अगर मैं बात करू उस मूवी के फर्स्ट हाफ में बहुत से ऑडियंस बोर हो गए थे, लेकिन सेकंड हाफ में उस मूवी ने फाड़ दिया था। वैसा ही इसमें कुछ है, बट उल्टा है।

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इस मूवी का फर्स्ट हाफ जहाँ आपको बहुत पसंद आएगा, सेकंड हाफ बहुत लंबा लगने लगेगा और आई थिंक लोकेश कनगराज की ये खासियत है की वो फर्स्ट हाफ में ऑडियंस को कन्फ्यूजन में रखकर बाद में उसे 100

कर देते हैं। तो हाँ, मूवी को एलसीयू के बाकी दो मूवीज़ के साथ कंपेर करूँ आई मीन कैथी और विक्रम के साथ तो ये लोकेश का एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी काम में नहीं बोल सकता। बट स्टिल ऑडियंस को एंगेज रखने में ये मूवी कामयाब जरूर हो जाती है। में स्पेशल ली इस मूवी में दिखाए गए ऐक्शन का फैन बन चुका हूँ।

में सीरियसली बोल रहा हूँ वो कैफे का सीन हाइ ना फाइट वाला सीन वो रोड में गाड़ियों वाला सीन, वो चेस सिक्वेन्स एक दिखाया है भाई साहब, ऐसा लगता है की किसी हॉलीवुड की मूवी देख रहा हो तो हाँ ये मूवी एलसीयू को ध्यान में रखते हुए देखनी तो जरूर चाहिए।

ऐंड हाँ, मैंने हिंदी उब में देखी एंड सॉरी टु से थिस बटा कृष्णा अभिषेक की आवाज विजय पर सूट नहीं हो रही थी। यार सो सॉरी पता नहीं कुछ लोगों को पसंद आ रही होगी लेकिन मुझे पर्सनली लगा की नहीं बाकी आप बताओ कमेंट में की अगर आपने देखी है ये मूवी तो आपको कैसे लगी मेरी तरफ से ओवरऑल अगर मैं रेटिंग दूं तो मेरी तरफ से इस फ़िल्म को भी आउट ऑफ फाइव स्टार्स मिलते है।

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