वन टेक देखे देखे इसको इंडियन फ़िल्म इंडस्ट्री।टाइम इन इंडियन फ़िल्म इंडस्ट्री के पंजाबी रीज़न से आई है। थिएटर में एक नयी मूवी नाम है मस्तानी और ये पहली बार होगा कि आज हम किसी पंजाबी मूवी का रिव्यु करने जा रहे हैं। इसके पहले मैंने इसके ट्रेलर का रिव्यु किया था जो की मुझे बहुत पसंद आया था और इसीलिए मैंने ये मूवी भी देखी। वो भी इसकी ओरिजिनल लैंग्वेज यानी पंजाबी में ही, क्योंकि इधर हिंदी में वो लगी ही नहीं है तो क्या ही करू ऐंड ऊपर से नागपुर में जहा हिंदी या मराठी ज्यादा बोली जाती है, वहाँ तक ये शो हाउस फुल था।
भाई एक बात आपको कन्फर्म बता दूँ की मूवी जीसको जैसे भी लगे कांता फ़िल्म अगर आपने देखी हो तो उसका क्लाइमैक्स जैसे आपको प्युर घूस बम देता है। इस फ़िल्म का भी क्लाइमैक्स आपको सम फीलिंग्स देने वाला है। बाकी ओवरऑल मूवी कैसे है? आइये बात करते हैं।

इस मूवी की कहानी हमारा एक हिस्टोरिक इवेंट पर बेस्ट है, जब नादिर शाह की टोली को सिखों की एक टोली ने लूटकर अपने माँ बहनों को भी उनके चंगुल से बचाया था। नादिर शाह इस बात से बौखला गया था और वहाँ के लोकल सूबेदार को कहा था कि उन सिखों को पकड़कर लाए।
लेकिन जब सिखों को पकड़ना मुश्किल हुआ तो नादिर शाह के सामने रखे गए पांच ऐसे नाटक करने वालों को, जिन्होंने सिखों का रोल करके एक झूठ मूठ की जंग लड़ी, उसके बाद क्या हुआ? वो तो आप फ़िल्म में ही देखिये लेकिन जो कुछ भी मैंने बताया वो ट्रेलर में तो है ही, साथ ही ये हमारा इतिहास भी है जिसे पर्दे पर जीस तरह से उतारा गया हैजिस सेटअप ऐंड गेटअप के साथ प्रेज़ेंट किया गया है, ऐसा प्रेज़ेन्टेशन हमारे बॉलीवुड की मूवीज़ में भी बहुत कम देखने को मिलता है।
Mastaney Movie Review
मैंने शायद लास्ट टाइम केसरी फ़िल्म में सिखों को लेकर ऐसा कुछ प्रेज़ेन्टेशन देखा था और ये मस्तानी फ़िल्म बनाने में उन्होंने अच्छे खासे 5 साल लगा दिए हैं, जो फ़िल्म देखते वक्त समझ में आता भी है। एक एक छोटी छोटी बात को बारीकी से दिखाया गया है।
फर्स्ट हाफ में बहुत से कॉमिक सिचुएशन ऐंड डायलॉगस भी है, जिससे की कॉमन ऑडिएंस जो है वो इंटरटेन होती रहे ऐंड सेकंड हाफ में जीस तरह से उन मस्तानों का मेकओवर दिखाया है इनटू के सिख भाई आ गए थे। उनका तेवर देखकर और उनकी लड़ाई देखकर थिएटर में सारे लोग अपने चेर से उठ खड़े हो गए थे। लड़ाई के पहले अरदास होती है।
उस समय मुझे लगा कि मैं किसी थिएटर मैं हूँ ही नहीं। मैं किसी गुरूद्वारे में हूँ एंड ऐसे माहौल में फ़िल्म देखने का अपना एक अलग ही एक्सपीरियंस होता है बट अगर इससे थोड़ा सा हटकर बात करें तो जो मेकओवर फ्रॉम आम इंसान टु लड़ाई, ये सिख इसमें बहुत ज्यादा टाइम लगा दिया। बीच में एक लव स्टोरी भी चलती रहती है जो ना भी होती तो भी पता नहीं।
मुझे नहीं लगता कि उसे कुछ फरक पड़ता क्योंकि अलटिमेटली जब लास्ट लड़ाई होती है वो लव स्टोरी पता नहीं कहाँ गुम हो जाती है एनीवेस क्योंकि मैंने ये पंजाबी में ही देखी है तो जो ओरिजिनल फ्लेवर था इस मूवी का वो बरकरार रहा और ओरिजिनल लैंग्वेज में देखने का दूसरा रीज़न ये भी था की मैं खुद भी 5 साल पंजाब में रहा हूँ तो वहाँ की लैंग्वेज समझने में मुझे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।
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लेकिन आपके आस पास इसके शोज़ अगर हिंदी या आपके रीजनल लैंग्वेजेस में अवेलेबल है तो इस फ़िल्म को आप मिस नहीं कर सकते। सिनेमैटोग्राफी से लेकर इस फ़िल्म के कॉस्टयूम, डिजाइन, फाइट सिक्वेंस में काफी मेहनत दिखाई पड़ती है।
ऐड ऊपर से फैमिली फ्रेंडली है तो पूरे परिवार के साथ भी आप इसे देख सकते हो। मेरी तरफ से इस फ़िल्म को फ़ोर आउट ऑफ फाइव स्टार्स मिलते है।