यार एक सवाल है, मन में, भारत अगर एक पुल्लिंग शब्द है तो हम भारत को भारत माता क्यों कहते हैं? अगर आपको जवाब पता है तो कमेंट में जरूर बताना।
जियो सिनेमा पर फ्री में एक वेब सिरीज़ रिलीज हुई है, जिसका नाम है ताली स्टार्टिंग सुष्मिता सेन As a गौरी सावंत ऐसे सिरीज़ 15 तारीख को रिलीज होने वाली थी लेकिन 1 दिन पहले 14 तारीख की रात 9:00 बजे इसके सारे एपिसोड Live हो चूके थे। तो कैसी है ये सिरीज़ आइये बात करते हैं।
Taali Web Series Review

सबसे पहले बता दूँ कि यह एक बायोपिक सिरीज़ है जो बेस्ट है एक ऐसे ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट की स्टोरी पर जिनका रियल नाम है श्री गौरी सावंत।
एंड मैं बहुत पहले की एक शॉर्ट फ़िल्म का ऐड में आपने उन्हें देखा होगा और उस छोटे से ऐड में उनकी पूरी लाइफ बयां कर दी थी। उन्होंने रियल लाइफ में अपने कम्यूनिटी के लोगों को इज्जत दिलाने की पूरी कोशिश की है,
जिनकी वजह से आज तृतीयपंथी हिजड़ा या छक्का कहलाने वाले लोगों को पहचान मिली और उसी पहचान पाने की स्टोरी है ताली देखो सीरीज में सिर्फ छे एपिसोड्स है, वो भी 25-30 मिनट के तो ऐसा पकड़ के चलो की ये सिरीज़ एक फ़िल्म की तरह ही है जो 3 घंटे में खत्म हो जाएगी।
अब ये सिरीज़ क्योंकि एक Biopic है तो गौरी सावंत की बैकस्टोरी गणेश से गौरी बनने तक और गौरी बनने के बाद अपनी लड़ाई लड़ने तक उन्हें किन किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा, वो इस पूरे सिरीज़ में आप देखोगे लेकिन वॉट टाइप पर्सनली फील्ड के जहाँ सुष्मिता सेन की एक्टिंग शाइन कर जाती है, वहीं गौरी सावंत की रियल लाइफ स्टोरी को मेकर्स इम्पैक्ट फुल्ली सामने नहीं रख पाए।
पता नहीं क्यों पूरी सीरीज खत्म हो गयी लेकिन तिनका भर भी दर्द नहीं उठाया। ऐसे दिल में या हमदर्दी या अपने पन वाला एहसास नहीं हुआ। हालांकि इसके पहले दो एपिसोड्स बहुत ही अच्छे हैं और एन्गेजिंग है। वहीं पर थर्ड फोर्थ एपिसोड थोड़े भटके हुए नज़र आते हैं।
लेकिन पांचवें और सिक्स्थ एपिसोड में स्टोरी अपने लाइन पर वापस आ भी जाती है। ऐंड सुष्मिता सेन का एक दमदार परफॉर्मेन्स आपको देखने को मिलता है। आई थिंक उनके कैरिअर का। अगर मैं ये बेस्ट काम कहूं तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। वो जब पूरी तरह गौरी बन जाती है तब उनकी एक्टिंग और भी निखर कर सामने आती है।
बट जब जब वो गणेश के कैरेक्टर में रहती है तो उनका मेकअप ऐंड हेर्स वगैरह काफी नकली सा लगता है। आपने ट्रेलर में भी देखा होगा और इवन पता नहीं क्यों कुछ कुछ जगह पे कैमरावर्क ऐसा अटपटा सा क्यों है? फॉर एग्जाम्पल गौरी सावंत जब जब कोई एकदम तड़कता भड़कता डायलॉग बोल रही है तो कैमरा एकदम ऐसे मुँह में घुस जाएगा कि क्या ऐसा लगने लगता है जो सच में अवॉर्ड करना चाहिए था?
एनीवेस पूरे सिरीज़ में एक ट्रांसजेंडर को अपने आइडेंटिटी सर्वाइवल और इक्वैलिटी के लिए कितनी बड़ी जंग लड़नी पड़ती है और देखा जाए तो आज भी ऐक्चूअली लड़ते रहना पड़ता है।
कैसे वो अपने आप को साबित करते हैं की वो अलग है लेकिन गलत नहीं, उस पर फोकस किया गया है। पूरे सिरीज़ में थोड़ी बहुत हल्की फुल्की गालियां हैं, बहुत ज्यादा नहीं और वगैरह कुछ भी नहीं है।
सिरीज़ को यूए सर्टिफिकेट भी मिला है तो अगर आप 16 साल या उससे ऊपर हो तो आप इसे अपने फैमिली के साथ भी देख सकते हो। बाकी गदर टू रूमी गॉड टू से फुर्सत मिल चुकी हो तो घर बैठकर आप इस सिरीज़ को भी फ्री में एन्जॉय कर सकते हो।
Also Read:
हालांकि मुझे पर्सनली लगा कि इस सिरीज़ में इमोशन वाला एलिमेन्ट और भी ज्यादा ऐड करते हैं। सुष्मिता को गुस्से के वक्त और भी ज्यादा अग्रेसिव दिखाते उनका एक हरद्वार रौद्र रूप दिखाते जो इन्होंने मेन्शन भी किया है तो क्रियेटिव लिबर्टी के साथ साथ बायोपिक को और थोड़ा एंटरटेनिंग बनाया जा सकता था।
बाकी श्री गौरी सावंत जी जो कुछ भी रियल लाइफ में कर रहे हैं उसके लिए तो उनको शत शत प्रणाम है। बट सिरीज़ के ऐस्पेक्ट को ध्यान में रखते हुए मैं दूंगा इस सिरीज़ को 2.55 स्टार्स मिलते हैं।